धुंधले से साये हैं इर्द गिर्द भटकते
और कुछ किताबों के फटे पन्ने
एक कहानी लिखी थी कभी मैंने
जो ज़िन्दगी से मुखातिब थी
पर फिर भी मुसलसल अलग
सियाही की जगह खून था दिल के मेरे
और रंग आसमानों की सी थी
शायद चुराई हुई
फीके पड़ गए जैसे ही धोया मैंने
अश्कों से बारहा तंग आकर
अब कोरे से काग़ज़ पर फिर सींचती हूँ
इक नज़्म, जो साज़ो-आवाज़ से जुदा है
सिसकियों सी सुनाई पड़ती है
तन्हाई के शोरोगुल में
यह इक अजीब दास्ताँ है जनाब
कहते हैं पढ़नेवाले
लिखने वाले ने दिल खोल के रख
दिया हो जैंसे सामने सबके
पर फिर भी आईने में अक्स
नज़र नहीं आता
मानो काग़ज़ के पन्नो में
कहीं बस गया है जाकर
इक कहानी लिखी थी मैंने कभी
जो ज़िन्दगी से मुख्तलिफ थी
पर फिर भी न जाने क्यों लगता है
बहुत जानी पहचानी सी किसी मरहूम की
आप बीती हो मालुम
और कुछ किताबों के फटे पन्ने
एक कहानी लिखी थी कभी मैंने
जो ज़िन्दगी से मुखातिब थी
पर फिर भी मुसलसल अलग
सियाही की जगह खून था दिल के मेरे
और रंग आसमानों की सी थी
शायद चुराई हुई
फीके पड़ गए जैसे ही धोया मैंने
अश्कों से बारहा तंग आकर
अब कोरे से काग़ज़ पर फिर सींचती हूँ
इक नज़्म, जो साज़ो-आवाज़ से जुदा है
सिसकियों सी सुनाई पड़ती है
तन्हाई के शोरोगुल में
यह इक अजीब दास्ताँ है जनाब
कहते हैं पढ़नेवाले
लिखने वाले ने दिल खोल के रख
दिया हो जैंसे सामने सबके
पर फिर भी आईने में अक्स
नज़र नहीं आता
मानो काग़ज़ के पन्नो में
कहीं बस गया है जाकर
इक कहानी लिखी थी मैंने कभी
जो ज़िन्दगी से मुख्तलिफ थी
पर फिर भी न जाने क्यों लगता है
बहुत जानी पहचानी सी किसी मरहूम की
आप बीती हो मालुम
Wonderful!!!
ReplyDeleteThanks Maniparna
Deleteआह गीता जी ! यह आह उस दर्द को महसूस करके निकली है जो इस नज़्म के लफ़्ज़ों में मौजूद है । लेकिन आपमें छुपी इस काबिलियत के दीदार से तो आपके लिए वाह ही निकल सकती है । कभी ख़बर नहीं हुई कि आपके भीतर एक शायरा भी छुपी है । बहुत खूब !
ReplyDeleteजितेन्द्र माथुर
Thanks Janaab
DeleteSorry, not competent enough to comment on this. BTW where are your comments on my blogs which you had promised?
ReplyDeleteI was off line for sometime. Now, I will
DeleteSo beautifully written :-) Life is a story after all.
ReplyDeleteYes, it is a story told differently by different people
Deletethat was a nice and deep poetry. Loved the lines :)
ReplyDeleteThanks Ankita
DeleteIt's such a beautiful poem. Just loved it.
ReplyDeleteThanks Saru
DeleteGood one.
ReplyDeleteThanks Rajeshji
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