खरोंच हल्की
या ज़खम गहरा
चोट तो है न ?
ख़ामोशी से या
मुस्का के सहलाओ
दर्द तो है न ?
जीये नहीं ..अभी कहाँ
साँसों में वो
तड़पन तो है न ?
धुआं है .. लकीरें सारी
अंगारों में
ठिठुरन तो हैं न ?
ख्वाबों को रौंद चला
पलकों तले
चुभन तो है न ?
वक़्त अभी - थोड़ी बाकी
धड़कनों में
सुलगन तो है न ?
खरोंच हल्की
या ज़खम गहरा
चोट तो है न ?
ख़ामोशी से या
मुस्का के सहलाओ
दर्द तो है न ?
या ज़खम गहरा
चोट तो है न ?
ख़ामोशी से या
मुस्का के सहलाओ
दर्द तो है न ?