बसन्त
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क्या राज है ये
दरमियां हमारे
गहराता सा
उधेड़ बुन
सपनों का मगर
उलझाता सा
खामोशियों में
अफसाने हजार
दोहराता सा
बीते रुत वो
गरज बरस का
धुंधलाता सा
छंद सुगंध
गीत मोह मादक
छलकाता सा
बेनाम सही
चाह? खींच? कशिश?
मदमाता सा
मीत गीत ये
रीत से परे, चित
हरषाता सा
गीत-छंद ,मदिर - सुगंध .. ऐसे शब्दों से सज कर वसंत ऋतु साक्षात हो उठी है... :)
ReplyDeleteDhanyabaad Kokilaji
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ReplyDeleteखामोशियो में
अफसाने हजार
दोहराता सा
बीते रुत वो
गरज बरस का
धुंधलाता सा
छंद सुगंध
गीत मोह मादक
छलकाता सा
बहुत बढ़िया
Shukriya Saraswatji
DeleteAbsolutely beautiful! Your ability to write equally beautifully in 3 languages amazes me.
ReplyDeleteThanks Somali. Glad you liked it.
DeleteBreathtakingly beautiful concatenated haiku!
ReplyDeleteImpossible to select the best..all are brilliant!
Loved them:)
Thanks Amitji. With your inspiration and encouragement.
DeleteThanks Moni
ReplyDeleteThanks Nilanjanadi
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