मेरे मित्र नरेश जी के क्लासमेट राजेश गथ्वालाजी ने हाल ही में हुए चन्द्र ग्रहण के समय कैलिफोर्निया के नभ पर दुल्हन जैसी 'सुपर मून' को अपने कैमरे के लेंस में बड़ी खूबसूरती से क़ैद किया था ।
कुछ दिन पूर्व अमावस पर कुछ यूँ लिखा था :
कुछ दिन पूर्व अमावस पर कुछ यूँ लिखा था :
अमावस की
रात, हुई तश्तरी
चाँद की गुम
पर राजेश जी की सुपरमून का सौंदर्य और सजीलापन शब्दों में बयान करना मानो असंभव सा लगा । क्या कहें उस चित्रकार का जो हर पल चमत्कारी रंग हमारे जीवन के आकाश पर बिखेरता है? कभी भरपूर खुशी तो कभी दुखों का ढेर लगा देता है । कभी भावनाओं का जमघट, कभी आकांक्षाओं की लम्बी उड़ान, कभी मिलन के गीत तो कभी विदाई का दर्दीला गुहार। दिल के दरवाज़ों पे कितने सारे मेहमान दस्तक देते रहते हैं । पर कोई भी ठहरता नहीं, रुकता नहीं । आते हैं … चले जाते हैं । छुपन छुपाई की खेल की भाँती। और हम वाट निहारते रह जाते हैं....
इसी तरह रात करता होगा इंतज़ार चाँद की । पर ग्रहण तो ग्रहण है । वह न सुने किसीकी। तो क्या करे रात अभागन ?
इसी तरह रात करता होगा इंतज़ार चाँद की । पर ग्रहण तो ग्रहण है । वह न सुने किसीकी। तो क्या करे रात अभागन ?
चाँद सिंदूरी
आड़ में घूँघट की
रात बिर्हन (?)
या यूँ कहें :
छुप्न छुपाई
खेले सखी संग वो
चुल्बुल चाँद
खेले सखी संग वो
चुल्बुल चाँद
या फिर :
माथे पे सजे
दुल्हन सी रात की
अंगारी बिंदी
और :
चाँद ! रूह में
तेरी, लहक बाक़ी
सर्द आग की
बुझने न दे
दहक धीमी, ओट
में ये राख की
साँसों में चुभे
चांदनी, जैसे रेणु
सी पराग की
पी से जा मिल,
है शाम गाती गीत
प्रीत राग की
तपिश हो या
ऊफन, बात तो है
तेरे भाग की
ओढ़ ले कफ्न
दफ़्न कर स्वप्न थे
जो विराग की
सेज है सजी
फूलों से लदी , तेरे
चिर्सुहाग की
सी पराग की
पी से जा मिल,
है शाम गाती गीत
प्रीत राग की
तपिश हो या
ऊफन, बात तो है
तेरे भाग की
ओढ़ ले कफ्न
दफ़्न कर स्वप्न थे
जो विराग की
सेज है सजी
फूलों से लदी , तेरे
चिर्सुहाग की
चाँद! रूह में
छुपी, स्पर्श है अभी
सर्द आग की
इन हाइकुओं का सत्य, सौंदर्य, ओचित्य व प्रासंगिकता दिग्गज पाठक-पाठिकाओं के काव्य-ज्ञान व आलोचना के सुपुर्द करती हूँ।
खासकर यह पोस्ट अमितजी को समर्पित है जिन्होंने हिंदी हाइकू, हाईबन, हायगा व हिंदी भाषा के अन्य कविताओं और शेरो शायरी से मेरा परिचय कराया और बहुत ही धैर्य व आग्रह के साथ मुझे हिंदी में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया । आशा करती हूँ आप का प्रोत्साहन मुझे आगे भी इसी तरह मिलती रहेगी।
bahut umda!
ReplyDeleteBeautiful red moon. Nice poem.
ReplyDeleteहिंदी काव्य के महासागर तक पहुँचने में मैं आपका माध्यम बना इस बात की मुझे बेहद ख़ुशी है, हालाँकि अभी हम पहुँचे नहीं हैं, रास्ते की नदियों से उस दिशा में अग्रसर हैं:)
ReplyDeleteआपकी रचनाओं का अप्रतिम सौन्दर्य आपकी विलक्षण प्रतिभा का प्रमाण है.
आपका विचार केन्द्र अनूठा और भाषा परिष्कृत है… किसी भी अहिन्दीभाषी के लिये गर्व का विषय हो सकती है ये बात. लेकिन मैं जानता हूँ कि आप, माँ सरस्वती की साधिका, गर्व से दूर हैं, विनम्र हैं.
आपने इस बेहद खूबसूरत पोस्ट में मेरा ज़िक्र किया ये मेरा अहोभाग्य है, मैं आपको सादर नमन करता हूँ, और आपके यश की कामना करता हूँ.
Ek chaand ..par dekhne ke tareeke anek. Bahut khoobsurat.
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