These are difficult days
Of tussle between will and wish
Love and hate
Trust seems a fickle twist
To a bond
Neat yet knotty
Pain diffused in a toast
Of life derides hope
Moments after moments
Sleek , sloppy, sloven
Haunt dreams
Cherished yet forgotten
And those roads
Which lead no where
Beckon me like a
Bunch of temptresses
Staggered steps
Draw uneven lines,
Haggard shapes
Time they say
Is still not ripe
And I stand alone
On a lonely beach
Counting waves after waves
As the sun droops down
On the western shore
And night knocks on the door
I stand alone
And watch the waves push by
Waves…
These are really trying times
And difficult days...
ये दिन हैं कठिन
एक जंग चाह और निबाह के बीच
सघन, समीप, तिरस्कृत
इक मोड़ अस्थिर
आस्थाओं के ओट में
रिश्तों की पेचीदगी
सफाई से बरक़रार रखती हुई
दर्द जाम भर ज़िन्दगी
से मजाक कर गयी
"आस की बात करते हो ?"
वोह पल पानी सा
फूहड़, सजीली ?
जो सपनों में जगाती है
भूल कर भी याद ...
और वो रास्ते ?
जो कहीं नहीं जाते
ईशारों से बुलाते हैं केवल
चंचल चपलाओं सी...
लडखडाते क़दम
टेडिमेडि रेखाएं खींचती है
थके से छबि, निर्जीव, संकीर्ण
"समय", सभी कहते हैं,
"सहेली नहीं है तुम्हारी"
और मैं अकेली
सुनसान किनारों पे
लहरें गिनती हुई
मुरझाते सूरज की
रौशनी में
पश्चिम का मुसाफिर
रात खटखटाती हैं दरवाज़ा
पर मैं फिर भी अकेली
निरंतर लहरें गिनती हुई
समय असहज और दिन मलिन
सघन, समीप, तिरस्कृत
आस्थाओं के ओट में
रिश्तों की पेचीदगी
से मजाक कर गयी
"आस की बात करते हो ?"
वोह पल पानी सा
फूहड़, सजीली ?
जो सपनों में जगाती है
भूल कर भी याद ...
और वो रास्ते ?
जो कहीं नहीं जाते
ईशारों से बुलाते हैं केवल
चंचल चपलाओं सी...
लडखडाते क़दम
टेडिमेडि रेखाएं खींचती है
थके से छबि, निर्जीव, संकीर्ण
"समय", सभी कहते हैं,
"सहेली नहीं है तुम्हारी"
और मैं अकेली
सुनसान किनारों पे
लहरें गिनती हुई
मुरझाते सूरज की
रौशनी में
पश्चिम का मुसाफिर
रात खटखटाती हैं दरवाज़ा
पर मैं फिर भी अकेली
निरंतर लहरें गिनती हुई
Melancholic, desolate and despondent. But I was shocked to read the Hindi version! Potent and stunning! Your control over the two tongues is profound.
ReplyDeleteThanks Umaji. My diffidence finds an anchor in your words
ReplyDeleteBeautiful composition! These are indeed difficult times.....and the best part, u have written it in hindi too...wow! :)
ReplyDeleteThanks Bushra!
ReplyDeleteYou do it so well in Hindi too.
ReplyDeleteThanks Indrani
ReplyDeletepainful to be alone.. difficult times indeed.. beautifully portrayed..
ReplyDeleteI dont have enough words in my dictionary to praise these wonderful lines ..
ReplyDeleteFelt as if I was talking to myself ... waves after waves ..alone i stand .. indeed these are difficult days !!
Kudos to your heights of creativity !!
Thank you Nitesh :)
DeleteThanks Rat!
ReplyDeleteVery touching !
ReplyDeleteThank you for speaking your mind
Best regards from a fellow blogger
http://lionheartangler.blogspot.in/
Thank you for listening!!!
ReplyDeletegreat and one of the finest compositions(esp. hindi one) i have read.
ReplyDeleteThank you so much. I am much indebted by your encouragement
ReplyDeleteVery nice poem.
ReplyDeleteThanks Rajeshji
DeletePowerful expressions and very emotive, the lines touch the heart. How beautiful to read the verse in hindi too. Absolutely lovely! :)
ReplyDeleteArti, this is pure telepathy. Only yesterday I was thinking of visiting your blog. Thanks for remembering me.
Deleteगीता जी,
ReplyDeleteअंग्रेज़ी की कविता में अभिव्यक्त भावों का हिन्दी संस्करण एकदम त्रुटिहीन तो नहीं है लेकिन इस अधूरेपन का भी अपना सौन्दर्य है । और यह सौंदर्य अप्रतिम है, अद्वितीय है । मैंने इस हिन्दी रूप को पढ़ा, फिर पढ़ा, बार-बार पढ़ा और यह पाया कि व्याकरणीय रूप से पूर्णतः शुद्ध न होने के बावजूद जो अनगढ़ भावनाएँ शब्दों में अभिव्यक्त हुई हैं वो कहने वाले के (या कहने वाली के) अकेलेपन की अनुभूति को ऐसी तीव्रता के साथ बिखेरती हैं जैसी तीव्रता के साथ व्याकरणीय रूप से शुद्ध कविता संभवतः नहीं बिखेर पाती । मोनालिसा की तस्वीर में भौहें नहीं है लेकिन शायद इसी अधूरेपन के कारण उसकी मुस्कान सामान्य से अधिक रहस्यमय लगती है और उसके चित्र को अमरत्व प्रदान करती है । यही तथ्य आपकी इस कविता के हिन्दी रूप पर भी लागू है । आपकी कलम से जो शब्द निकले हैं वो मेरे हृदय की गहराई में जाकर कहीं विलीन हो गए हैं । जो अनुभूति शब्दों में निहित है, उसकी सिहरन मैं अपने भीतर अनुभव कर रहा हूँ । इस कविता की प्रशंसा करने का यदि मैं प्रयास करूंगा तो मेरी प्रशंसा भी अधूरी ही रहेगी । बस इतना ही कहूँगा कि इसे मैं चाहे जितनी बार पढ़ लूँ, स्वयं को अतृप्त ही पाऊंगा ।
सादर,
जितेन्द्र माथुर
गीता जी,
ReplyDeleteअंग्रेज़ी की कविता में अभिव्यक्त भावों का हिन्दी संस्करण एकदम त्रुटिहीन तो नहीं है लेकिन इस अधूरेपन का भी अपना सौन्दर्य है । और यह सौंदर्य अप्रतिम है, अद्वितीय है । मैंने इस हिन्दी रूप को पढ़ा, फिर पढ़ा, बार-बार पढ़ा और यह पाया कि व्याकरणीय रूप से पूर्णतः शुद्ध न होने के बावजूद जो अनगढ़ भावनाएँ शब्दों में अभिव्यक्त हुई हैं वो कहने वाले के (या कहने वाली के) अकेलेपन की अनुभूति को ऐसी तीव्रता के साथ बिखेरती हैं जैसी तीव्रता के साथ व्याकरणीय रूप से शुद्ध कविता संभवतः नहीं बिखेर पाती । मोनालिसा की तस्वीर में भौहें नहीं है लेकिन शायद इसी अधूरेपन के कारण उसकी मुस्कान सामान्य से अधिक रहस्यमय लगती है और उसके चित्र को अमरत्व प्रदान करती है । यही तथ्य आपकी इस कविता के हिन्दी रूप पर भी लागू है । आपकी कलम से जो शब्द निकले हैं वो मेरे हृदय की गहराई में जाकर कहीं विलीन हो गए हैं । जो अनुभूति शब्दों में निहित है, उसकी सिहरन मैं अपने भीतर अनुभव कर रहा हूँ । इस कविता की प्रशंसा करने का यदि मैं प्रयास करूंगा तो मेरी प्रशंसा भी अधूरी ही रहेगी । बस इतना ही कहूँगा कि इसे मैं चाहे जितनी बार पढ़ लूँ, स्वयं को अतृप्त ही पाऊंगा ।
सादर,
जितेन्द्र माथुर
Mathur Sahab, I am rather overwhelmed by the comments (including yours) received on this post. While doing the Hindi version I have taken, what they say, a generous helping of poetic license. The Hindi version is neither a transliteration nor a translation, in the strictest sense of the terms. I have taken the gist, the soul of the English version and dabbled in Hindi. Therefore, if you are looking for exact synonyms you may not find them. Yes, I suppose there may be a few grammatical errors, some are deliberately made, in order to maintain the cadence, the others have been indulgently retained, because while writing the Hindi verse, I was more interested in how it would read aloud than how it would be written. So, I confess I am guilty of molesting the language and misusing the lingual expressions. Do pardon my folly.
DeleteSincerely,
Geeta
Loved the Hindi version especially! Very touching.
ReplyDeleteThanks Nilanjana
Deletewonderful words and the image is so apt!!
ReplyDeletehttp://www.myunfinishedlife.com/
Thank you so much @shooting star
Deletevery nice line....
ReplyDeleteThanks Amit!
Deletenice one
ReplyDeleteThanks! Thanks
DeleteGeetashree, There is a spare style, a rare lightness, a deep perception,a revelation, a feeling of a moment distilled in your writings. loved it unreservedly...Take a bow!
ReplyDeleteOverwhelmed by your esteemed presence, Panchalidi
DeleteBengali, Hindi, English ... wow ... you have mastered it all !!!
ReplyDeletePreening.....
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